सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
किसी भी वजह से मन में कोई भय हो तो शिव चालीसा का पाठ करे।
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अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक more info आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
In moments which include these exactly where daily life happens to be so quick that we barely come across the perfect time to pray, Shiva Chalisa arrives for a blessing for all of us.